Humour, My Poems, Sattire

मैं,मेरी तन्हाई और मेरे कपड़े :)

एक कटुपाहास पर इसे हल्का फुल्का मजाक कहना आधी सही होगा, उनलोगों पर जो अकेले में सिर्फ खाने पीने के विषय में सोचते हैं !

meri tanhai aur kapde

मैं,मेरी तन्हाई और मेरे कपड़े 

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं ….
कि चाय के साथ समोसा होता तो कैसा होता
और साथ जलेबी भी होती तो कैसा होता..
एक दिन ‘कपडे’ बीच में बोल ही पड़े
कुछ तो दया करो हम पर
खिंच टन कर हमारा बुरा हाल है
क्यों नहीं तुम्हारे मन में
हमें कुछ दिन और पहनने का ख़याल है ?
बिस्कुट से काम चलाया करो
जलेबी समोसा बीच में ना लाया करो !
😂😂😂😂

-रविन्द्र कुमार करनानी
rkkarnani@gmail.com
rkkblog1951.wordpress.com

 

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