Life, My Poems, Self-development

गुमान

Gumaan

हाल ही में एक नजदीकी रिश्तेदार की मृत्यु पर लोगों का मृत देह के प्रति ‘अछूत/अपवित्र’  सा व्यवहार देखकर मन में आया :

गुमान

तू खुद पे ना इतना गुरुर कर 
प्राण तेरे भी एक दिन चुक जायेंगे 
तेरी कमी कदाचित महसूस करें 
तेरे प्रेमी स्वजन शायद  रोयेंगे 
गर हाथ लगा लिया देह को तेरे 
उन्हें रगड़ रगड़ कर धोयेंगे ! 

-रविन्द्र कुमार करनानी

 

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