Life, My Poems, relationship, Self-development

मैं फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी पे!

This poem was penned by me, you may say, on behalf of my wife. She shared her feelings about life and the positive changes she perceived after she joined a SATSANG group!

मैं फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी पे!

Main phir bhee muskuratee

7 thoughts on “मैं फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी पे!”

  1. बहुत ही खूबसूरत कविता लिखी है आपने सर। जिन्होंने आपकी कविता अपनी टाइम लाइन पर पोस्ट की हैं कृपया उनका लिंक दें। जरा मैं भी देखूं।

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  2. रविंद्र दादा की कविता को माननीय ४२० गुरु …मोदी जी द्वारा रचित जसोदा बेन उनकी पत्नी के लिए लिखा बता रहे …

    एक तो यह झूठा एजेंडा है मोदी और उनकी पत्नी का

    दूसरा कविता दादा द्वारा लिखित है

    तीसरा आप कविता चोरी कर के लेखक से पूछ रहे तुम कौन

    कविता चोरी होती सच है …बड़े बड़े साहित्यकारों की हो गयी …. खैर इक्कीस वर्ष का हु जब सरस्वती माँ लिखवाती जो लिख देते …कविता लिखने से जीवन में सकारात्मकता आई है …..जब अपनी कविता पर acche अच्छे कमैंट्स पढता तो दिल खुस होता …माँ पढ़ती to वह भी खुस होती …. मन को शान्ति मिलती …

    एक बार कविता चोर का धब्बा लग गया तो कैसे मिटाओगे गुरु हाहाहा … सत्तर वर्ष की उतकृष्ट अभिव्यक्ति की कविता का व्यापार कर लो उधर चित्रगुप्त कलम घिस रहा ….

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    1. हा हा हा।।।।
      जिसका सामान चुराए
      उसी को बेचने आए थे,
      अभी लगता है बहुत कुछ देखना बाकी है।😀😀

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  3. Mai facebook pr nahi dada …waha aap khud aur apne janne walo se inki shikayat karo …… report karao

    Yeh WordPress pr nahi shayad …hai to yaha bhi report karwate

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  4. Farzi log nahi tikte

    Ha comments delete kr diljiye

    Left side me My Site ka option aata >>> usme Comments ka option aata >>> approved comments ko delete ya un approve kr sakte .

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