Life, My Poems

ज़िन्दगी का इरादा

पुराने फ़िल्मी गाने  सुन रहा था FM पर | एक गाना बजा , बोल कुछ इस तरह के थे :
आदमी चाहे तो तक़दीर
बदल सकता है
पूरी दुनिया की वो
तस्वीर बदल सकता है
आदमी सोच तो ले 
उसका इरादा क्या है 
ज़िन्दगी और बता तेरा  इरादा क्या है  !

मैं अंतिम लाइन पर अटक गया और फिर जो विचार   मन में आये उन्हें कलमबद्ध कुछ इस तरह किया था मैंने :(कुछ इन लाइनों के लिखने का एक यह भी कारण था कि उसी दिन चर्चा हो रही थी की किस तरह जीवन में   एकरसता के कारण  नीरसता आती है |)

Zindagi batati nahee

ज़िन्दगी का इरादा 

ये बहुत अच्छा है  
जिंदगी बताती नहीं 
कि उसका इरादा क्या है
वर्ना फीका  सा हो जाता 
ज़िन्दगी का सफर 
बेरंग सुनसान  सी लगती 
जीवन की डगर ! 
ऊँची नीची रेखाएँ दर्शाती 
जीवन  है कायम गतिमान 
सीधी सपाट रेखा बताती 
बस, आगया इहिकाल | 
-रविन्द्र कुमार करनानी    

Life, My Poems, relationship, Self-development

मैं फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी पे!

This poem was penned by me, you may say, on behalf of my wife. She shared her feelings about life and the positive changes she perceived after she joined a SATSANG group!

मैं फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी पे!

Main phir bhee muskuratee