पुराने फ़िल्मी गाने सुन रहा था FM पर | एक गाना बजा , बोल कुछ इस तरह के थे :
आदमी चाहे तो तक़दीर
बदल सकता है
पूरी दुनिया की वो
तस्वीर बदल सकता है
आदमी सोच तो ले
बदल सकता है
पूरी दुनिया की वो
तस्वीर बदल सकता है
आदमी सोच तो ले
उसका इरादा क्या है
ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है !
ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है !
मैं अंतिम लाइन पर अटक गया और फिर जो विचार मन में आये उन्हें कलमबद्ध कुछ इस तरह किया था मैंने :(कुछ इन लाइनों के लिखने का एक यह भी कारण था कि उसी दिन चर्चा हो रही थी की किस तरह जीवन में एकरसता के कारण नीरसता आती है |)
ज़िन्दगी का इरादा
ये बहुत अच्छा है
जिंदगी बताती नहीं
कि उसका इरादा क्या है
वर्ना फीका सा हो जाता
ज़िन्दगी का सफर
बेरंग सुनसान सी लगती
जीवन की डगर !
ऊँची नीची रेखाएँ दर्शाती
जीवन है कायम गतिमान
सीधी सपाट रेखा बताती
बस, आगया इहिकाल |
जिंदगी बताती नहीं
कि उसका इरादा क्या है
वर्ना फीका सा हो जाता
ज़िन्दगी का सफर
बेरंग सुनसान सी लगती
जीवन की डगर !
ऊँची नीची रेखाएँ दर्शाती
जीवन है कायम गतिमान
सीधी सपाट रेखा बताती
बस, आगया इहिकाल |