मिशन चंद्रयान-2 के चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूर लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क टूटने के बाद इसरो के कंट्रोल रूम में मायूसी छा गई थी ।
सन्नाटे के बीच बाहर निकल चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर कंट्रोल रूम में दाखिल हुए और निराश और हतोत्साहित हुवे सजल आँखें लिए खड़े इसरो अध्यक्ष सिवन को गले लगाये रखा और कुछ समय तक उन्हें दिलासा देते रहे |
वैज्ञानिकों को हिम्मत देते हुए कहा कि अबतक आपने जो किया, वह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि आप छोटी-छोटी गलतियों से सीखते हैं। आपने देश की और मानव जाति की बड़ी सेवा की है। पीएम मोदी के इन शब्दों से मायूस पड़ रहे वैज्ञानिकों को काफी हिम्मत मिली। एक अविस्मरणीय दृश्य था ! मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे , मन गद्-गद् हो रहा था और चन्द्रयान की आंशिक विफलता तो भूल कर यह खुशी होने लगी थी की अपने देश की बागडोर हमने ऐसे लौह पुरुष को दी है जिसका मोम का दिल है , जो सच्चे मायने में गण-नायक है !
अपने देश के नाम सन्देश में उन्होंने जो कहा उन्हीं बातों के कुछ अंश :
पूरा देश हमारे वैज्ञानिकों के साथ रात भर लगा हुआ था| पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है|
इस मिशन से जुड़ा हर व्यक्ति अलग ही अवस्था में था| बहुत से सवाल थे| हम सफलता से आगे बढ़ रहे थे| अचानक सब कुछ नज़र आना बंद हो गया| मैंने भी उन पलों को आपके साथ जिया है|
जब संपर्क टूट गया था तब आप सब हिल गए थे| क्यों हुआ, कैसे हुआ?बहुत सी उम्मीदें थीं| आपको लग रहा था कि कुछ तो होगा| पल-पल आपने बड़ी बारीकी से इसे बढ़ाया था|
कुछ रुकावटें आई हैं, लेकिन इससे हमारा हौसला कमज़ोर नहीं पड़ा है| और मज़बूत हुआ है|
आज हमारे रास्ते में एक आख़िरी क़दम में रुकावट आई हो लेकिन हम अपनी मंजिल से डिगे नहीं हैं| अपनी योजना के मुताबिक़ नहीं जा पाए|
अगर कोई कवि या साहित्यकार लिखेगा तो यही कहेगा कि आख़िरी क़दम पर चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने दौड़ पड़ा|चंद्रमा को आगोश में लेने की इच्छा शक्ति और भी प्रबल हुआ है|
हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का सर्वश्रेष्ठ अभी आना बाक़ी है, देश को इसका पूरा भरोसा है| पूरा भारत आपलोगों के साथ है क्योंकि आप लोग शानदार प्रोफेशनल हैं|
आप लोग मक्खन पर लकीर खींचने वाले लोग नहीं हैं, बल्कि पत्थर पर लक़ीर खींचने वाले लोग हैं|
हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नॉलजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं|
ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वो विज्ञान है| विज्ञान में विफलता कुछ नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं|
हम निश्चित रूप से सफल होंगे| इस मिशन के अगले प्रयास में भी और इसके बाद के हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी|
उसी रात को ही अपने मन की बातों को मैंने शब्द देने का प्रयास किया था | है तो तुकबंदी ही, पर तहे दिल की आवाज़ है |
चन्द्रयान-दो मिशन की उपलब्धि
चन्द्रयान-दो का सीधा प्रसारण देख रहे थे हम
विक्रम से संपर्क जब टूटा
दिल की धड़कन तेज हुई और सांस रही थी थम
फिर जब पता चला
चंदा की सतह से दूरी केवल सवा मील थी कम
वैज्ञानिकों के मायूस चेहरे देख आँखें हो गयी नम
मन बोला इसमें क्या देखूं सकारात्मकता का क्रम
तभी दिखे नमो, बाहों में थामे इसरो अध्यक्ष सिवन
दिलासा देते हौसला बढ़ाते
कहते,”लगे रहो हिम्मत से,तुम्हारे साथ हमारा कदम!”
गद्-गद् हुवा मन ये देख-सुन,आँसू ढलके मेरे नयन
अपने प्रिय नेता का ऐसा रूप, मन हुवा अति प्रसन्न
भारतीय होने पर गर्व हुवा, मेरी छाती भी थी छप्पन !
-रविन्द्र कुमार करनानी
07-08-2019
rkkblog1951.wordpress.com
rkkarnani@gmail.com
आपकी पंक्तियाँ पढ़ दिल भावनाओं में बह गया। नाज है हमें अपने वैज्ञानिकों पर। जय हिंद सर।🙏🙏
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