Life, My Poems, My Text

Diwali vs Dev Diwali

Yesterday 23rd Nov 2018 was Guru Nanak B’day. It is also celebrated as “Dev-Diwali” (Diwali of Divinity). My thoughts about Diwali and Dev Diwali, in rhyming lines, maybe you can term it as a poem! ☺️

Diwali banam Dev Diwali

दिवाली बनाम देव दिवाली 

मैंने कहा प्रभु से
अब और नहीं है थ्यावस
आज आप बतला ही दो
क्यों देवों  को दी चाँदनी
और हमको दे दी अमावस?
उनके राजा इंद्र के भी
हैं बहुत सारे किस्से
कहिये तो और देवों के

खोलूं कच्चे चिट्ठे!

हम भी तो प्रभु ऐसे ही है
थोड़े खराब  थोड़े अच्छे
फिर ये दुभाँत नहीं करनी थी
आखिर हम भी हैं आपके बच्चे !
प्रभु मुस्काये
सर पर मेरे हाथ फिराये
फिर समझाये
मुझको अपने पास बिठाए
बोले
मत हो इतना मायूस
ना मन को कर इतना छोटा

पहली दिवाली मनी थी उस दिन
वनवास बाद मैं अयोध्या लौटा
यह था मात्र संयोग कि उस दिन
व्योम था चन्दा बिन |
अब यह मत कहना
क्यों नहीं रुका मैं
और भी आगे पंद्रह दिन

बहुत कठिन थे मेरे लिए कटने
एक एक पल और एक एक छिन
हो रहा था मैं उतावला
अपनो से मिलने बावला
माताओं से भाईयों से
गले लगना था लगाना था
इतने लम्बे बिछोह के

दर्द को भुलाना था |

एक बात याद गयी बीच में
ध्यान से सुनना ज़रा
उस दिन जब मैं अयोध्या पहुंचा था
बहुत जोर शोर से उत्सव मना था
पर सबके मन में ध्यान था

प्रदूषित ना  हो ये धरा

गौ घी के दीपक थे सजाये
ढोल नगाड़े ही थे बजाये
उनकी धुन पर ही थे नाचे
एक दूजे को गले लगाये
अब खुद को देखो मेरे बालक
नाश कर रहे दिव्य सृष्टि का
जो सदा रही तेरी ही पालक
आतिशबाजी और पटाके
 मन को भाते तुम्हें धमाके
मत आमंत्रण  दे अपने विनाश को

इतना प्रकृति को उकसाके

अब सुनाता हूँ देव दिवाली की कहानी
सुनना लगाकर ध्यान
इस दिन आया करते थे देव धरा पर
करने गंगा में स्नान
जबसे प्रदूषित हुवी है गंगा
आने से वो कतराते
गंगा जल के छींटे देकर
स्वयं को धन्य हैं पाते
पर ये दिन तो आज भी
है देव दिवाली कहलाता
ऐसा क्यों है मेरे बन्दे
सुन तुझको में बतलाता
अमावस के दिन तू
आतिशबाज़ी छोड़  छोड़ इतराता
उसकी अनार चालीस फुट है पहुँची
तू पच्चास लेजाकर दिखलाता
पटाखों के आवाज़ की भी होड़  लगी है
कान किसी का ना बच पाता
इन्सान है तू इंसान की कमियों को पूरा दर्शाता
पूर्णिमा के दिन की बात करें तो
तू आतिश पटाखे भुला देता
लाखों दीप संजोकर तू
धरा  को पूरी चमकाता
अपनी इस क्रिया से तू
वातावरण भी तो है बचाता
अपने अंदर के देव गुणों  को

पूरी तरह है दर्शाता

मनुज नहीं तू देव तुल्य होकर
पूनम को दिवाली जो मनाता
इसीलिये वो पर्व हमारा  

देव दिवाली कहलाता |

रविन्द्र कुमार करनानी 
© Ravindra Kumar Karnani

2 thoughts on “Diwali vs Dev Diwali”

  1. Reblogged this on R K Karnani blog and commented:

    गत वर्ष देव दिवाली २३ नवम्बर २०१८ को थी | इसी दिन गुरु नानक देव जी की जयंती भी है | इस साल देव दिवाली  है आज : १२ नवम्बर २०१९ ! 
    हमारी दीवाली आती है अमावश्या के दिन और देव दिवाली आती है पूर्णिमा को !  मेरे मन में प्रश्न उठा ऐसा क्यों?  मेरे मन ने जो निराकरण किया उसी को  प्रयास किया था पिछले साल|  वही पर्व आ रहा है तो मन हुवा सभी मित्रों के साथ  साझा करूँ | 

    Like

Leave a comment