My Poems

भूख 

इस तस्वीर को देख कर दिल काँप गया था और बच्ची के बाप को कोस रहा था तभी एक ख़याल मन को झकझोर गया :  पिता और बेटी की दूरी भूख की मजबूरी है तब ये लाइनें लिखी गईं |

bhookh

भूख
पत्थर दिल भी
देख कर मंजर
सिहर जायेगा |
पर बात पूरी जान
शायद
समझ जायेगा |

स्वयं से अधिक
कचोट रही
बच्चे की भूख |

लोगों ने कोसा
निर्मम!
ऐसे कैसे
डाल सकते हो
अपने बच्चे  की
जान जोखिम में?

अब उन्हें
कैसे बताऊँ
भूख से भी तो
लगी थी
जान की बाज़ी
और वो बाज़ी
हारता तिल तिल !

-रविन्द्र कुमार करनानी
22 Oct 2019

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2 thoughts on “भूख ”

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