हिन्दी दिवस
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा,
घोषित हमें करनी पड़ी
स्वतः ही सब मान लेते
ऐसी कड़ी ना जुड़ सकी |
राजभाषा भी है हिंदी
सरकारी काम होते हैं जिसमे
पर अंग्रेजी भाषा को भी
जोड़ा गया है साथ इसमें
14 सितम्बर पावन दिवस
मनाते जिसे हिंदी दिवस
क्यों नहीं मनाते हम ह्रदय से
आधिकारिक तौर से हैं विवश
क्यों अंग्रेज़ी को इतना मान है
अंग्रेजी में बोलना शान है
अंग्रेजी अगर नहीं आती
समझते खुद को नाकाम हैं |
हिंदी भाषी का करते परिहास
बात ये करती हमें उदास
क्यों हिंदी की अहमियत ही नहीं
क्यों उसकी न कोई पूछ कहीं
एक रोचक बात है यह भी
हिंदी के ही सुर होते है
गाने गाते हैं वो जब भी
माँ हो बेटी हो या प्रेयसी
प्रेम जताते हिंदी में ही
मैं अपनी गर बात करूँ
अंग्रेजी माध्यम से जरूर पढ़ा
मेरा हिंदी आधार भी सुदृढ़ है बना
हिंदी का अपमान नहीं सुहाता मुझे
क्रोध मुझको आ जाता घना
अपनी राज भाषा राष्ट्र भाषा पर
हमें होना ही चाहिए अभिमान
करें हो सके जितना
केवल इसका इस्तेमाल
हिंदी के प्रति जन जन में
प्रेम की तरंग जगाएँ
आपको, आपको, और मुझे भी
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |
—रविन्द्र कुमार करनानी
- वर्ष १९४९ में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो
भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है:
- संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
यह निर्णय १४ सितम्बर को लिया गया, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था।
हिंदी का सम्मान देश का सम्मान है !